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जोशीले गोलू गधे की समझदारी | Kids Moral Story

एक गांव में एक व्यापारी रहता था, जिसके पास 10 गधे है। व्यापारी हर दिन गधों पर सामान लादकर एक गांव से दूसरे गांव जाता था। उन सारे गधों में एक गोलू नाम का गधा था। गोलू गधा बूढ़ा होने लगा था, परंतु उसमें अभी भी काफी जोश था और वह बाकी गधों के मुकाबले समझदार था।



व्यापारी का बेटा हर श्याम सारे गधों को पास के खेत में खाना खाने के लिए ले जाता। सारे गधे एक साथ एकत्रित होकर घास खाते।

एक शाम जब व्यापारी का बेटा सारे गधों को खेत में ले गया, तब उसमें से गोलू गधा घास को चरते-चरते थोड़ा आगे निकल गया और खेत के पास एक गड्ढे में जाकर गिर गया। गोलू गधे ने गड्ढे से निकलने की कोशिश की पर गड्ढा काफी गहरा था। उसने जोर-जोर से "ढेंचू-ढेंचू" करना शुरू कर दिया। व्यापारी के बेटे ने जब यह देखा तो वह दौड़ता हुआ घर पहुंचा।

उसने अपने पिता को बताया कि गोलू गधा गड्ढे में गिर गया है। यह सुनकर व्यापारी और उसके घर के पास रहने वाले सभी गांव-वासी खेत के गड्ढे के तरफ दौड़े। जब व्यापारी ने देखा कि गड्ढा काफी गहरा है और उसके अंदर घुसना लोगों के लिए भी संभव नहीं है, तो उसने सोचा वैसे भी गोलू गधा बूढ़ा हो गया है, शायद यह उसका अंतिम समय है, बेहतर यही होगा कि गोलू गधे को यही दफना दिया जाए।

व्यापारी ने अपने साथियों से कहा, "भाइयों मुझे नहीं लगता कि मेरा गधा बच पाएगा। इसने कई सालों तक मेरे लिए काम किया है इसलिए मैं चाहता हूं कि मैं इसे इसी गड्ढे में दफना दूं। कृपा आप सब मेरी इस गड्ढे में मिट्टी डालने में मदद करें। मैं चाहता हूं कि मेरे गधे को शांति मिल जाए।" सब लोगों ने ऐसा ही किया, उन्होंने व्यापारी के साथ मिलकर गड्ढों में मिट्टी डालना शुरू कर दिया।

जैसे ही गोलू गधे पर मिट्टी पड़ी, पहले तो वह घबरा गया, फिर उसने सोचा कि मैंने पूरी उम्र जोश और समझदारी से काम लिया है। यह वक्त घबराने का नहीं है, बल्कि अपना पूरा प्रयास करने का है ताकि मैं इस गड्ढे से बाहर निकल पाऊं।

गोलू गधे ने देखा कि मिट्टी उसके शरीर के ऊपर जमा हो रही है। उसने तुरंत अपने शरीर को झटका और देखा कि उसके शरीर पर गिरने वाली मिट्टी उसके पैरों के नीचे गिर गई है और उसे थोड़ी ऊंचाई मिल गई है।

अब क्या था जैसे ही गांव वाले गोलू गधे पर मिट्टी डालते वह तुरंत उसे झटकता और मिट्टी उसके पैरों के तरफ गिर जाती और वह उसके ऊपर खड़ा हो जाता। थोड़ी देर तक वह यही करता रहा, देखते ही देखते मिट्टी से आधा गड्ढा भर गया था और वह गड्ढे के ऊपर आना शुरू हो गया था।

जब इस बात पर व्यापारी ने गौर किया तो वह समझ गया कि गोलू गधा हार मानने वालों में से नहीं है। उसने लोगों से बोलकर और ज्यादा मिट्टी डलवाना शुरू कर दी। गोलू गधे ने भी बार-बार अपने अपने शरीर से मिट्टी झटकते हुए, अपने लिए रास्ता बनाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते गोलू गधा गड्ढे से बाहर निकल आया।

व्यापारी और उसके बेटे को यह देखकर बेहद खुशी हुई, उन्होंने गोलू गधे को सहलाया और उसे ढेर सारी ताजी खास और पानी पीने को दिया। आज गोलू गधे के निरंतर प्रयास, समझदारी और जोशीले स्वभाव ने उसे मरने से बचा लिया था।

शिक्षा - 


प्यारे दोस्तों! "जीवन में कई बार हम भी कठिनाई रूपी गड्ढों में गिर जाते हैं। देखने में हो सकता है यह गड्ढे काफी गहरे हो। परंतु अगर हम भी गोलू गधे की तरह अपनी समझदारी से और अपने अंदर जोश जगाते हुए, निरंतर प्रयास करते जाएं तो किसी भी कठिनाई रूपी गड्ढे से बाहर आया जा सकता है।" 

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Story By - Khushi
Inspired By - Old Childhood Tales
Post By - Khushi

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