एक बार बादशाह अकबर अपने सभी मंत्रियों के साथ सभा ले रहे थे। तभी दो औरतें एक बच्चे के साथ वहां पर पहुंची और दोनों जोर-जोर से रो रही थी।
पहली औरत ने कहा "जहांपनाह! यह बच्चा मेरा पुत्र है। मैं बहुत बीमार थी और इसकी देखभाल नहीं कर सकती थी। इसलिए मैंने इसे अपनी सहेली के पास छो़ड दिया था। किन्तु अब जब मैं ठीक हो गई हूं, तो यह मुझे मेरा पुत्र देने से इंकार कर रही है।"
इस पर दूसरी औरत ने रोते हुए अकबर से कहा, "यह झूठ बोल रही है! यह मेरा पुत्र है और मैं इसकी मां हूं। यह औरत इस तरह की कहानियां सुनाकर मेरे पुत्र को ले जाना चाहती है।"
बादशाह अकबर यह निश्चय नहीं कर पा रहे थे कि औरतों को कैसे न्याय दिलाया जाए। उन्होंने अपने सबसे बुद्धिमान मंत्री राजा बीरबल को अदालत में बुलाया। बीरबल ने एक के बाद एक दोनों औरतों की बात सुनी और सिर हिलाया। फिर वह अकबर की ओर झुका और बोला, "जहांपनाह! दोनों ही औरतें इस बच्चे की मां होने का दावा कर रही है।। इसलिए हम इन दोनों को बच्चा दे देते हैं।"