हर बार की तरह राजा विक्रम ने बेताल को पेड़ से उतारकर, अपने कंधे पर लटका लिया और अपने राज्य की तरफ चलने लगे। चलते समय बेताल ने एक बार फिर राजा से कहा कि मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊंगा जिसका तुम्हें सही उत्तर देना है। यदि तुमने गलत उत्तर दिया तो मैं तुम्हारे सिर के दो टुकड़े कर दूंगा और अगर तुम कुछ बोले तो मैं फिर से उड़ जाऊंगा।
यह कहते हुए बेताल ने अपनी कहानी शुरू की -
विशाला नाम की नगरी में पदमनाभ नाम का राजा राज करता था। उसी नगर में अर्थदत्त नाम का एक साहूकार रहता था। अर्थदत्त के अनंगमंजरी नाम की एक सुन्दर कन्या थी। उसका विवाह साहूकार ने एक धनी साहूकार के पुत्र मणिवर्मा के साथ कर दिया। मणिवर्मा पत्नी को बहुत चाहता था, पर पत्नी उसे प्यार नहीं करती थी।
यह कहते हुए बेताल ने अपनी कहानी शुरू की -
विशाला नाम की नगरी में पदमनाभ नाम का राजा राज करता था। उसी नगर में अर्थदत्त नाम का एक साहूकार रहता था। अर्थदत्त के अनंगमंजरी नाम की एक सुन्दर कन्या थी। उसका विवाह साहूकार ने एक धनी साहूकार के पुत्र मणिवर्मा के साथ कर दिया। मणिवर्मा पत्नी को बहुत चाहता था, पर पत्नी उसे प्यार नहीं करती थी।