रामू एक बहुत ही मेहनती व्यापारी था। वह रंग बिरंगी खूबसूरत टोपी बनाया करता था और उन्हें अलग-अलग गांव मैं जाकर बेचा करता था।
अप्रैल की बात थी, गर्मी का मौसम था। रामू अपने टोपी से भरी पोटली लेकर एक गांव से दूसरे गांव की तरफ जा रहा था। जंगल में चलते-चलते वह काफी थक चुका था, इसलिए उसने सोचा कि क्यों ना मैं कुछ देर जंगल में ही एक पेड़ के नीचे आराम कर लो। यह सोचकर वह एक बड़े से पेड़ के छांव में जाकर थोड़ी देर के लिए सो गया। उसने अपने टोपियों की गठरी एक ओर रख दी और लेट गया। थोड़ी देर में ही उसे गहरी नींद आ गई।
अप्रैल की बात थी, गर्मी का मौसम था। रामू अपने टोपी से भरी पोटली लेकर एक गांव से दूसरे गांव की तरफ जा रहा था। जंगल में चलते-चलते वह काफी थक चुका था, इसलिए उसने सोचा कि क्यों ना मैं कुछ देर जंगल में ही एक पेड़ के नीचे आराम कर लो। यह सोचकर वह एक बड़े से पेड़ के छांव में जाकर थोड़ी देर के लिए सो गया। उसने अपने टोपियों की गठरी एक ओर रख दी और लेट गया। थोड़ी देर में ही उसे गहरी नींद आ गई।